तालिबानी भौकाल

पूरी दुनिया ई टेम तालिबानी भौकाल ते हैरान हवै| अमरीका अपन लड़ाई लड़ै बदि अफगानिस्तान मा डेरा जमायेसि  रहै |ओसामा का मारैके बादि इनका वापिस जाना रहै मुला गए नहीं |अब जब यकदम्मै से बीस साल बादि वापिस लौटे तो अफगानिस्तान कि धरती का फिर लड़ाई मा झोकि गए | एक जमाने मा यह महात्मा बुद्ध और सूफी संतन कि धरती रहै धीरे धीरे कबीले बने फिर सूफी समाज के बिरोधी अपन भौकाल बनावे बदि मारकाट सुरू कै दिहिन|

कंधार तो गंधार आही, जहां कि गांधारी इन्द्रप्रस्थ मा बियाही रहें |शकुनि का महाभारत मा गंधार नरेश कहा गवा है |बामियान कि पहाड़ी पर भगवान बुद्ध केर बहुत बड़ी मूरति रहै | बामियान तो हिंद्कुश पर्वत की घाटी मा बसा आय |बामियान ते रेशम केर ब्यापार होत रहै,कोई जमाने मा बामियान भगवान बुद्ध के ज्ञान औ उनके दरसन  खातिर जाना जात रहै | हुआ गुफ़ा के भीतर बौद्ध भिक्षु रहत रहैं | दूसरी सदी ते सातवीं सदी तक ई धरती पर भगवान  बुद्ध के धरम औ दरसन कि महिमा रही |चरिव वार सांती रहै बुद्ध के समर्थक राजा  उनकी तमाम मूरत बनवाइन रहै |चीन फ्रांस भारत के तमाम बिदुआन  पढ़ैया लिखैया बामियान आवा जावा करत रहैं| नवीं सदी तक अफगानी  मुस्लिम बादशाह औ गंधार के सामंत सब सूफी मत के हिसाब ते आपस मा मिलिके रहे |  मुला औरंगजेब और नादिरशाह जब ई धरती पर आये तो भगवान् बुद्ध कि मूरती तोडी गयीं | ई सब कट्टर मूर्ति पूजा के बिरोधी रहैं| ई सब कबीलाई लुटेरे रहैं जो अफगानिस्तान के रस्ते हिन्दुस्तान मा दाखिला भये |इनके दुइ तीन  काम ख़ास रहैं एक कि मूर्ति तोड़ना ,दूसर लूटपाट हत्या  करना, तीसर मंदिर तोड़के मस्जिद बनाना औ सबका  धरम बदल के मुसलमान बनाना |

कुछ सनातनी हिन्दुस्तानी राजा  इनते डटिके  लड़त रहे मुला हिंसा मारकाट कौनिव तना बंद न भय | बुद्ध भगवान कि धरती पर जो निर्गुनिया  सूफी बिचार पैदा भवा वहौ ई कट्टरपंथी मटियामेट कै दिहिन | दुनिया बदलत रही मुला अफगानिस्तान के बुद्ध भगवान शांति केर संदेस देत रहे | जब ई तालिबानी 1996 मा अफगानिस्तान पर कब्जा किहिन रहै तब्बै इनका भगवान् बुद्ध कि मूर्ति ते बहुत डेर लगा रहै | आखिरकार सन 2001 मा वुइ बुद्ध कि हजारन साल पाहिले बनी  मूर्ति तोड़ दिहिन | अपनेहे देश समाज केर बिनास किहिन, बुद्ध धरम के तमाम खोजी बिदुआन पर्यटक जो हुआ आवत जात रहैं|सबकी आवाजाही बंद हुइगै| ई सब ते तालिबानी अपन भौकाल बनावै मा कामियाब होत रहे | कंधार मा अफीम कि खेती केर कारबार खूब फलै फूलै  लगा |पाहिले रूस इनका सहारा दिहिस वाहिका अमरीकी ते लड़ना रहै |अमरीका के टावर गिराए के बाद ओसामा के पीछे अमरीका अफगानिस्तान मा डेरा डारिस |बीस साल तक अमरीका आतंकवाद ख़त्म करत रहा मुला हारि के वापिस चला गा | आतंकवाद कि खेती अफगानिस्तान मा खूब फली| अब  पाकिस्तान चीन रूस सब तालिबानी भौकाली लड़ैया सेना के पीछे खड़े हवैं| इन सबकी नजर अब अफीम कि इसमगलिंग के साथ  अफगानिस्तानी सेना ते लूटे गए  असलहा माने  अमरीकी हथियारन पर टिकी हवै| बीस साल ते भारत हुआ जो कुछ बिकास केर काम किहिस रहै वहु सब माटी मा मिलि गवा |तमाम धन योजना सब खटाई मा परि गयी हवैं| तालिबानी लड़ाके  पकिस्तान चीन औ रूस सबका साथ पायेके बहुत मगन अहैं |उनका भौकाल अब सतवें आसमान पर पहुंचि गा है | ऐसे मौके पर  खान अब्दुल गफ्फार खान माने  सरहदी गांधी बहुत  यादि आवत अहैं |

हमका तो यह याक  बात समझिम नही आवत हवै कि तालिबानी मेहेरुअन  ते काहे डेरात हवैं ? जी औरत कि कोख ते पैदा होत अहैं वहेक मुंह देख के गोली ते उड़ाय देत अहैं |बारह साल कि होतै बिटेवा क उठाय लै जात अहैं |बिटेवन के सब स्कूल कालेज बंद हुइगे | मेहेरुआ बिटेवा  सड़क पर देखाई देतै तालिबानी सनक जात अहैं |कमजोर बिटेवा ,औरत औ मनई पर कोड़ा बरसाए जात अहैं कितौ पत्थर मारै कि सजा दीन जाय रही हवै| जरूर खुदा ऐसे तालिबानी सोच वाले मनइन का देखके हैरान होत होई |अब तो सब हुआ ते भागके कहूं अंत जाय रहे  हवैं |सब अपन अपन घर ढूढ़ रहे हवैं जस खुसरो  अपने दोहा मा कहिन रहै - गोरी सोवै सेज पर मुखपर डारे  केस| चल खुसरो घर आपने सांझ भई चंहु देस ||  तो अब अफगानिस्तान मा इनसानियत कि शाम हुइ चुकी है आगे आगे औरतन कि  शामत आ रही है | दुनिया भरेके मर्दवादी  कठमुल्ला खुस हुइके नाचत अहैं | जी दिन औरतें खुलिके सामने अइहैं तब्बै इनका भौकाल फुस्स  होई |

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