राधे राधे # मिसिर भारतेंदु
मिसिर भारतेंदु
बहुत हरबराव ना| जमुना मा नहाती बेरिया गोपिका पानी मा फंसि गयी रहैं ,हरबर करिहो तो तुमहू कहूं फंसि जैहो | मुरलिया वाले किसन उनका चीर हरन कइ लिहिन रहै | हमरी अजिया हमका एक ठो कजरी सिखायें रहीं -
नटवर नंदलाल गिरधारी,दैद्या चीर हमारी ना
चीर लैके कदम चढ़ि बैठे, जल मा नारी उघारी ना
चीर तो तुमरी तबै हम देबै,जल से होब्यू न्यारी ना
पुरइन पात पहिरि राधा निसरीं,कृष्ण बजावैं तारी ना |
हियाँ तो अब सरजू मैया के जल मा पुरइन के पात नहीं बचे|आज के जमाने मा राधा पानी ते कैसे निकसतीं ?’
बसंती बोली- बात तो सही कहेव दाई,मुला अब वहु ज़माना न आय |अब बिटेवा अपन लड़ाई खुद्दै लड़ै लागी हवैं |अब चीरहरण केर मतलब बदलि गवा है|अब छेड़खानी बड़ा अपराध हुइगा है |
कटोरी दाई समझायेनि - उन्ह.. हूँ ,.. बसंती बिटिया यहै तो,तुम समझ न पायेव| किसन भगवान कि लीला आय राधा का आत्मा समझो| जमुना केर करिया जल संसार केर माया मोह आय| किसन वहिते निकरे बदि कहत अहैं |वुइ तो परमात्मा रहैं| वुइ जहां गोकुल मा चीरहरण करत देखात अहैं तो अंधरे धृतराष्ट कि सभा मा मौके पर पहुँच के द्रोपदी चीर बचावत अहैं | उनकी महिला समझना बहुतै कठिन आय |
ठीक कहती हौ दाई , यह गूढ़ बात हम तो समझि लीन| मुला अबहिनो तमाम दुनिया औ हमरे समाज मा बिटियन बहुरियन के साथ दुराचार होत अहै |तमाम नासपीटे नकली कन्हैया बने घूमत अहैं | बिटिया बहुरियन के कपड़ा लत्ता औ निकसे बैठे पर रोजुइ खूसट नेतवन के बयान सुनेक मिलत अहैं |
यह बात तुम सही कहेव - हमरे गाँव मा ऐस एक दुइ मुरहंट रहैं| तिनका हमपंच माने दुई तीन जनी मिलिके ठीक किया | पहिले जबानी समझावा लेकिन जब होस न ठिकान तो हम सब जनी मिलिके उनका पनहीपूजन कीन|अब हमका देखिके मुंडी झुकाय लेत अहैं |
कटोरी दाई आगे कहिन-लेकिन भगवान किसन केरि लीला तमाम कथा भागवत और लोकगीतन मा अवध मा सदा ते गाई जात अहै | कजरी जेस लोकगीतन के रचैया तो आम जनता होत अहै |बारहमासा मा सब तना के गीत मिलत अहैं |सब अवधियन कि जिनगी ई गीतन के भीतर झलकत अहै |
किसन भगवान गीता रहस्य, ज्ञान कर्म भक्ति योग औ प्रेम के देउता माने जात अहैं |महाभारत और भागवत सब कहूं उनकी लीला केर बखान कीन गा है |कृष्णचन्द्र सोलह कला ते संपन्न कहे जात अहैं | वेदव्यास तो उनकी कही गीता कि तारीफ़ मा कहिन रहै - सर्वोपनिषदो गावो दोग्धा गोपालानंदन:| पार्थो वत्स : सुधीर्भोक्ता दुग्धं गीतामृतं महत | माने सब उपनिषद गैया आंय औ दुधहा गोपाल श्री किसन जी आहीं | बछवा अर्जुन आंय वहिके खातिर सब गैया पन्हाय गयीं| तब किसन जी ज्ञान रूपी अमिरुतु दुहिन रहै| वहे ज्ञान रूपी अमरितु का गीता कहा गवा |
सूरदास के लिए किसन तो बाललीलाधर रहैं |मीरा के लिए किसन उनके पति रूप मा रहैं|नरोत्तम के लिए कृष्ण तो बालसखा रहैं| एक दफा संतन के साथ तुलसी मथुरा पंहुचे तो रामभगत तुलसी दास बांके बिहारी कि मूरत देखके एक दोहा कहिन रहै-
कहा कहौं छबि आपकी ,भले बने हौ नाथ
तुलसी मस्तक तब नवै, जब धनुष बाण लेव हाथ |
लागत अहै कि तुलसी के जमाने मा राम जैस पुरुषार्थी ताकतवर लड़ैया कि जरूरत रहै|अवधी समाज मा तब सत्ता कि अब्यवस्था ते जरूर बेकली रही होई |मुगलकाल मा ताज जैसी कबयित्री उनका गुणकीरतन किहिन रहै | नजीर अकबराबादी कि नज्म का हिस्सा देखा जाय --
गुन गाए से तेरा हिये हरदम हुलास है।
तारीफ कहो कृष्ण कन्हैया की क्या लिखूँ॥ आज ऐसे किसन कन्हैया केर जन्मदिन अहै उनका जगतगुरु कहा जात अहै | वुइ लड़ाई के मैदान मा डेरभुत अर्जुन का कर्म ज्ञान औ भक्ति केर उपदेश दिहिन रहै |बसंती बोली - अब अबेर होत बा दाई! राम राम | , उंह ...आज तो 'राधे राधे' कहौ बिटिया | 'राधे राधे कहो चले आयेंगे बिहारी |'
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