सरजू मैया # मिसिर भारतेंदु अनोखे भैया अघोरी बाबा के मठ मा गए पैलगी कीन्हेनि तो बाबा कुच्छो न बोले | तनिक देर अनोखे भैया बैठ रहे तीके जब बाबा अपनी आखीं खोलिन तो अनोखे भैया पूछेनि - बाबा कौने ध्यान मा रहौ ? बाबा बोले - बच्चा हम तौ सरजू मैया के ध्यान मा रहन |.. तुम बताओ ? अनोखे सवाल दागि दिहिन - बाबा , सरजू नद्दी के ध्यान कि बात समझ मा नही आयी | ’ बाबा बोले - बच्चा यह निर्गुण साधना आय येहिमा पांच तत्वन कि साधना कीन जात अहै - छिति जल पावक गगन समीरा , पञ्च तत्व यह रचित सरीरा | सरजू मैया जल रूप आंय .. कुछ समझेव … नोखे भैया ? ’ अनोखे बोले बाबा हम जादा तो नही समझ पायेन मुला हमका सरजू मैया के तीर बहुत नीक लागत अहै | बाबा बोले - येहि नद्दी का हमते हजारन साल पुरान रिस्ता आय | अजोध्या मा सरजू मैया के किनारे खड़े होतै मन मा राम कथा केर हिलोर हुमकै लागत अहै | बिदुआन पढ़ैया लिखैया बतावत अहैं कि सरजू मैया कि चर्चा वैदिक काल ते अबलौं चली आय रही हवै | आदिकबि बाल्मीकि अपनी रामायण मा सरजू केर वर्णन किहिन रहै | तुलसीबाबा अपने रामचरित मानस मा लिखिन रहै - अवधपुरी मम पुरी सुहावनि ,
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